Monday, September 5, 2011

Maa ka Rista - Ek Swarg



माँ का रिश्ता दुनिया का सबसे अनूठा रिश्ता होता है. यह रिश्ता धरती पर जन्म लेने से पहले ही माँ से जुड़ा होता है. इस लिए धरती पर पैर रखते ही माँ - माँ की आवाज स्वतः ही निकल आती है. माँ और बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से बड़ा होता है तभी तो स्वयम भगवान भी इस रिश्ते का प्यार और दुलार लेने के लिए जनम लिया. माँ हमेशा ही एक देने का नाम है. एक मोहहबत का नाम है. एक दुलार और लाड का नाम है. एक त्याग, करुणा, साहश और ममता का रूप है जो दुनिया के किसी अन्य रिश्ते में नहीं मिल सकता. माँ ममता, करुणा, दया , त्याग व संतोष की प्रतिमूर्ति होती है. इस संसार में माँ के अगणित कर्ज बिखरे पड़े है जिसे कोई आजीवन भी नहीं चूका सकता. मेरी माँ भी इन्ही गुणों से सुशोभित होकर हमारे बीच माँ के ममत्व को सदैव बुलंदियों पर रखा और हमारे खातिर हर मुमकिन सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए जीवन पर्यंत त्याग और संघर्ष करते हुए एक स्वाभिमानी शहीद की तरह वीरगति को प्राप्त किया. कहानी है अदम्य साहस और प्यार के अनूठे संगम का जो मेरी माँ में जवर्दस्त भरी थी. मेरे पापा के असामयिक निधन के बाद हम छ भाई-बहनों का भार माँ के कंधो पर आ पड़ा. माँ हम सब को देख कर रो पड़ती, और कभी-कभी आंसुओं को पीकर भी खाने-पिने, रहने और पढ़ाने जैसे मौलिक चीजो के लिए अनवरत संघर्ष कर इस विषम परिस्थिति में हम सब को संभाला और अदम्य साहस व धैर्य का परिचय देते हुए अपनी जिम्मेवारियों को बखूवी निभाया. एक मध्यम परिवार की विविध परिस्थितियां और मजबूरियां होती है जिसके निर्वहन के लिए पिता का भी होना जरुरी होता है पर मेरी माँ ने पापा के नहीं होने का हम सबको एहसास ना हो इसके लिए पिता की भांति बाहर की भी जिम्मेदारियों को पूरा किया. सादगी, स्वाभिमान और साहस पर आधारित गुण जो माँ ने संस्कार स्वरुप हमें दिए वो हमारे जीवन का अनमोल रत्न के बराबर है. ऐसे माँ को दुबारा पाने के लिए हम अगले जन्म का भी प्रतिच्छा करेंगे. मेरी माँ मुझसे जूदा हो गईं.  मेरी माँ ने निः संदेह खुद के साथ त्याग कर मुझे जन्म-जन्मान्तर के लिए बहुत कुछ दे कर माँ की ममत्व का ऐसा रूप दिखाया है जो अतुलनीय है. मैंने कई एक साहित्य, कर्म-त्याग व ममता की कहानी और धर्म-ग्रन्थ पढ़े पर मेरी माँ की गाथा सबसे महान और तुलना से परे है.  मेरी माँ ने माँ का रूप को फिर से सिद्ध किया कि " पुत कपूत होत है - पर माता नहीं कुमाता". मेरी माँ की इस निः स्वार्थ भावना, सौन्दर्य, त्याग, करुणा, ममता, साहस, दृढ़ता, संकल्प, उर्जा, व दानवीरता की कहानी युगों-युगों तक याद किया जायेगा.   

यह पूरी रचना मेरी माँ के प्यार, दुलार, ममता और साहश को समर्पित है. माँ के साथ गुजरे वोह दिन की याद हमारी आंशुओं के साथ आती है. माँ को हमेशा  के लिए खो कर ऐसा लगता है मानो सब कुछ खो गया. मैंने अपनी माँ के चरणों में हमेशा ही एक स्वर्ग देखा. मेरा स्वर्ग ही छीन गया. जब तक इस धरती पर माँ और बेटे का अवतरण होता रहेगा हमारी माँ की कहानी यूँ ही पढ़ी और समझी जाएगी.

माँ को नमन, मा तुझे सलाम, মা ক নামান, মা তুঝে সালাম, ਮਾਂ ਤੁਝੇ ਸਲਾਮ,  ما کو نامه
मा को नमन ,માં કો નમન, ما کو نعمان