Meri Maa

मेरी माँ की पसंद:
रोज की पूजा: पूजा करना, चलिशा संग्रह से हनुमान चलिशा, शनि चलिशा, दुर्गा व काली माँ की आरती पढना और गाना.
साप्ताहिक पूजा: हर ब्रिहश्पतिवार को बिफे का किताब पढना या सुनना चाहे कितना भी मुश्किल हो. हर मंगलवार को बंगलास्थान और देवी मंदिर जाकर पूजा करना, हर शनिवार को शनि चलिशा व हनुमान जी का पूजा करना और चलिशा पढना.
देवी व देवता: माँ काली, माँ दुर्गा, माँ तारा, हनुमान जी, साईं बाबा, भगवान गणेश.
मंगलवार का रूटीन: हर मंगलवार को महारानी रोड स्थित बंग्लास्थान और देवीस्थान जाना फिर मामा और मामी जी यहाँ जाना और दिन बिताना.
बिशेष दिनों में मंदिर: गया स्थित बागेश्वरी मंदिर, बंग्लास्थान, देवीस्थान, आनंदी मंदिर, काली मंदिर, दुखरनी मंदिर, सीतलास्थान, पितामहेश्वर, काली वाड़ी, मंगला गौरी, संग्ठा मंदिर, मारकंडे मंदिर आदि जाना. खासकर नबरात्रा, शिवरात्रि, होली, व सावन में. नबरात्रा में तो हर रोज इन मंदिरों में बिशेष पूजा होता था. जिसकी शुरुआत बागेश्वरी से हो कर महाष्टमी को देवी माँ की गोदभराई पर पूरा होती थी. नई गोदाम स्थित काली माँ और दुर्गा माँ का पंडाल में मूर्ति की महार्चना होती थी.  घर पर ही दुर्गा कलश की स्थापना कर नित्य दिन पुरे नवरात्र में सुबह शाम की पूजा और आरती गाई जाती थी. माँ स्वयं पूजा अर्चना का संपूर्ण बीड़ा उठाये होते थे. रामनवमी में घर पर हनुमान जी का ध्वजारोहण, होली में बागेश्वरी माँ का दर्शन, शिवरात्रि में पितामहेश्वर शिव का पूजा तथा अन्य पूजा जन्मास्टमी, एकादसी, अक्षय नवमी माँ का विशेष ध्यान रहता था.
गंगा-स्नान:  गंगा-स्नान माँ को हमेशा भाता था. चाहे वो कार्तिक पूर्णिमा हो या बिसुआ या एकादसी या हो अमावस्या. यह माँ की आस्था और संतोष को पूरा करता था.
खाना: बेशन की सब्जी, करही, ओल की सब्जी+चटनी, सिम+पालक की सब्जी, आलूदम, कद्दू की सब्जी फ़ौरन का,  सेका हुआ लिट्टी, प्याज+अज्वैन मिला हुआ रोटी, नमक-तेल के साथ बासी रोटी, दालपुरी, दालपिट्ठी, खीर- रसिया, टमाटर+धनिया पत्ता की चटनी, केराव मटर का झोर, छोला, खेसारी साग, बथुआ साग, लाल साग और सत्तू+नमक+प्याज आदि पसंदीदा  खाना था. होटलों में मंचूरियन, छोला भटूरा,पनीर बटर मशाला,नान, जीरा राएस, चाट, मशाल डोसा, आदि पसंद था.
मीठा: यू तो मीठा सुगर होने के कारण परहेज था पर छेना, स्पंज, रसमलाई, राबड़ी,जलेबी, बुंदिया, इमृति, दही-चीनी, घर का बना पुआ- मालपुआ जिसमे केला और गुलाब जल मिला हो बहुत अच्छा लगता था.
सुबह का चाय: चाय बिना चीनी, सुगर फ्री डालकर खली पेट पीना, साथ में नमकीन बिस्कुट, फरी, कभी भूंजा मखाना या बासी रोटी के चाय पीना.
शाम का नास्ता: यू तो शाम होते ही माँ को गैसट्रिक का प्रोब्लम होता था पर फरी-चना, नमकीन बिस्कुट या मिक्चर पसंद था. कभी मन ठीक लगने पर सब के साथ कभी-कभी समोशा या चौमिन खाना अच्छा लगता था. शाम में बर्षात के मौसम में मकई माँ का फेब्रेट आइटम था. मकई माँ को बेहद पसंदीदा नाश्ता होता था.
फल: सुगर के कारण फलो पर रोक था पर आम माँ को बहुत प्यारा लगता था जो नहीं खाना था. साथ में केला, अमरुद, पपीता और सेव भी पसंद था. जूस में बिदाना और मौसम्मी अच्छा लगता था पर वह भी सुगर के कारण मना था.
रंग: माँ को फिरोजी रंग सबसे अच्छा लगता था साथ में हरा, सफ़ेद और सफ्रोंन रंग बहुत भाता था.
माँ का दबाई:  बीपी, सुगर, गैस, नींद और पेट की दबाई हमेशा माँ को परेशान रखा. जिस कारण माँ हमेशा अम्लोदिपिन ५, मयोप्रोलोल एक्सेल २५, ग्लिमिपेरिड १, ग्ल्य्नेश-एमएफ, डोम्पेन्न, ओमेज, सट्रोजिल-३००, नींद का अल्जोलम रात में जरुर खाना है शिर में दर्द रहने पर झंडू बाम हमेशा साथ होता था. यह सब दबा डाक्टर अजित कुमार मिश्र, बोरिंग रोड पटना द्वारा प्रेस्क्रिब था.
जेनरल आईटम : टूथ पेस्ट में थेरमोसिल, तेल में नवरत्न, पेअर्स ब्लू साबुन, काजल, जाड़े में एविओन क्रीम, गर्मी में फेएर एंड लवली लगाना पसंद था.
फिल्म एक्टर: दिलीप कुमार, मनोज कुमार, राज कुमार, राज कपूर, सुनील दत्त, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, सचिन, सलमान खान, अलोक नाथ, गोविंदा.

फिल्म एक्ट्रेस: सोरैया, नर्गिस दत्त, नूतन, मीना कुमारी, , राखी, जया बच्चन, निरूपा रॉय, काजोल, रानी मुखर्जी.
गायक: एस डी बर्मन, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी का "ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले......." , मुकेश, किशोर कुमार, एस पी बलासुब्र्मनियम, गुलाम अली, अल्ताफ रजा का "अच्छा सिला दिया तुने .......", उषा उथूप, एआर रहमान का "माँ तुझे सलाम...", लखबीर सिंह लक्खा, मनोज तिवारी, कल्पना का छठ गीत,  आल्हा का "आल्हा की धजा नहीं आई हो मा.....", हरिबंश रॉय बच्चन की मधुशाला की धुनें.  इसके अलाबा शादी में गीत गाना, छठ के गीत गाना माँ को बहुत अच्छा लगता था.  माँ अक्सर भक्ति गीत गाना व सुनना काफी पसंद करती थी. कोई भी ऐसे अवसर जैसे घर पर कलश स्थापना, तीज- त्यौहार, छठ आदि पर माँ सबसे पहले अपनी सुरीली व मीठी आवाज लगाकर माहौल को खुशनुमा और भव्य बना देती थीं.
फिल्म: धुल का फुल, अनारकली, पाकीजा, हाथी मेरे साथी, नागिन, दिवार, नदिया के पार, अवतार, सनम बेवफा, बागवान, भूतनाथ, विवाह.
टीबी सीरियल/प्रोग्राम: जी टीवी पर  - 7.30pm छोटी बहु, 8.00pm पबित्र रिश्ता रेगुलर पसंदीदा प्रोग्राम था जो हमेशा देख कर दुसरो को भी देखने कहते थे.  सोनी टीवी पर सी आइ डी रात 8.00pm जरुर देखते थे. महुआ टीबी पर सुर संग्राम, भौजी नंबर वन, डांस संग्राम भी काफी पसंद था. हिंदी समाचार  चेनेल, आस्था पर किरीट भाई जी महाराज, प्रेम भूषण जी, मुरारी बापू जी, आशाराम बापू जी लोगो का प्रबचन सुनना, संस्कार चेनेल पर शिवानन्द अवधूत जी का शिवलोक प्रबचन अच्छा लगता था. इसके अलावा टीबी पर क्रिकेट मैच, झंदातोलन , एसिआद, ओलंपिक आदि खेलो का का सीधा प्रसारण देखना. दिल्ली में 3 ओक्टुबर 2010 की रात कोअमन गेम्स का उद्घाटन समारोह माँ और हम दोनों  साथ साथ देख रहे थे.

माँ का डिब्बा: माँ अपने डिब्बे में कालीबाड़ी की मिटटी, साईबाबा का भबूत, बीपी, चीनी, गैस, नींद और पेट की दबा, मीठा टॉफी एक्लैर्स, हाजमोला और झंदुबाम हमेशा साथ होता था.
पसंदीदा लीडर्स: महात्मा गाँधी,नेहरु जी, अटल बिहारी बाजपेई, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार जी अच्छे लगते थे.
माँ का डाक्टर: गया में डाक्टर बिनय कुमार सिन्हा, डाक्टर शैलेश बर्मा, डाक्टर रामेश्वर प्रसाद, डाक्टर प्रमोद कुमार सिन्हा, डाक्टर संकेत नारायण सिंह, पटना में डाक्टर नागेन्द्र प्रसाद, नेत्र सर्जन जहाँ 10 दिसंबर 2004 को मोतिआबिन्द का ओप्रेसन हुआ, डाक्टर अजित कुमार मिश्र जिन पर माँ हमेशा बिश्वास करते थे और जिनका इलाज माँ को भाता था. 8 अगस्त 2006 से माँ का बीपी, चीनी का इलाज चल रहा था. डाक्टर अमरकांत झा, स्किन पर सोरोसिस का इलाज नबम्बर 2009 से इलाज चला पर ठीक नहीं हुआ. डाक्टर( श्रीमती) रश्मि प्रसाद, गायनी सर्जन से अप्रेल 17 2010 को उपरी जांघ में उभरे जख्म "अब्सस सायनस" का मेजर ओप्रसन हुआ था. जहाँ 17 अप्रेल से 17 जुलाई 2010 तक इलाज हुआ. और तीन महीने तक लगातार जख्म का ड्रेसिंग होता रहा. एक बड़ी दुर्घटना जो 6 सितम्बर 2010 के सुबह सुबह हुई जब माँ घर में बेडरूम में उठ कर जमीं पर गिर पड़ी. तब  डाक्टर तनबीर और डाक्टर शाहनवाज जो कुर्जी के डाक्टर है से जांघ में लगी बड़ी चोट का इलाज चल रहा था. जहाँ तुरंत एक्स रे हुआ- बड़ी फ्रेक्चर नहीं हुआ पर 20 दिनों तक बेडरेस्ट और दबाई- इंजेक्सन चला, वर्फ की फोमिंग, क्रीम/जेल की मालिश,और एक्सरसाइज करना पड़ा पर वही दुर्घटना माँ को पूरी तरह से तोड़ कर कमजोर कर दिया जो माँ का इतना बड़ा हादसा का कारण बना और सब कुछ  बर्बाद हो गया 4 अक्तूबर 2010  को, जब मौत की जित हुई और हम सदा-सदा के लिए हार गए.

प्रेफर्ड पैथो लैब: माँ गया में राहुल पैथो लैब और विवेक जाँच केंद्र में अक्शर ब्लड सुगर का जांच करवाते थे. पटना में नोर्थ एस के पूरी स्थित गीतांजलि पैथो लैब माँ का पसंदीदा और भरोशेमंद जाँच केंद्र था. हलाकि डाक्टर अजित मिश्र का जाँच केंद्र और चिल्ड्रेन्स पार्क स्थित मिलेनियम भी माँ जाँच करा चुके थे.
परामर्शी: माँ को समय-समय पर कई लोगो का परामर्श मिलता रहता था जिनमे हिरा लाल पाठक, निम् तले के पंडित जी, जो माँ के गुरु भी रहे. चपराशी जी, काली बाड़ी के बाबा आदि थे. पर नैली ब्रह्म्जोनी स्थित पंडित शिव नारायण मिश्रा जी माँ के लिए एक बड़े गुरु और अध्यात्मिक गुरु माने गए, जिन पर माँ खूब भरोसा    करते थे. माँ के स्वस्थ्य की कामना से उन्होंने मार्कंडेय शिव मंदिर में बहुत आराधना और पूजा किया. अक्शर माँ उनका परामर्श लेने के लिए उन्हें फोन करते रहते थे. बंग्लास्थान स्थित मुरारी जी, डेल्हा स्थित अनुज मिश्र, पीर मंसूर के बाबा से भी माँ अक्शर परामर्श लेते रहते थे. महरानी रोड स्थित चन्द्र देव मिश्र घर पर कलश स्थापना व अन्य पूजा कर माँ को परामर्श देते रहते थे. उनके जमाए श्री आशुतोष मिश्र जी की पूजा अर्चना माँ को काफी भाया तभी माँ 2009 का दुर्गा कलश स्थापना आशुतोष जी ही करवाया और तमन्ना थी की 2010 के दशहरा में उन्ही से पूजा करवाना था जिसकी सारी बात उनके पटना आने पर हो चुकी थी. पर एन मौके पर सारी तमन्नाए बिखर गए.
बाहरी लोगो में खास: महरानी रोड स्थित भरत सिंह, मनोज उपाध्याय उर्फ़ मन्नू और गेवाल बीघा स्थित श्री नवनीत कुमार सिन्हा जो सेंट्रल बैंक में है  जिनको माँ बहुत याद और प्यार करती थीं.
अत्यधिक सम्मानित अपने: माँ के अपने एक्लोत्ते छोटे भाई श्री राम नंदन प्रसाद उर्फ़ राम बाबु जिन पर माँ को ज्यादा बिश्वाश और भरोसा था. माँ उनको बहुत प्यार और दुलार देते थे. बदले में उनका भी सम्मान माँ को बहुत मिला जिसका गुणगान माँ अक्सर करते थे. भाई बहन का यह अनूठा प्यार लोग याद और गर्व करते थे. माँ उनसे जुड़े और संतुष्ट महसूस करते थे.
माँ का आदर्श: माँ की नानी पर माँ को काफी गर्व था, माँ की माँ- मैया लेट प्यारी देवी और बाबु जी लेट बाबु महेश्वर प्रसाद (मेरी नानी और नाना)  और पापा लेट शिव सागर प्रसाद माँ के आदर्श व्यक्तियों में थे. माँ हमेशा इनका गुणगान किया और इनकी कहानियों को अपने बच्चो को सुनाकर उनके संष्कार सिखने को प्रेरित करते थे.
अत्यधिक यादगार जगह: वारसलीगंज नवादा स्थित माँ के नानी घर " चकवाय "  माँ को सबसे प्यारा और यादगार जगह रहा. वहां की यादे माँ अक्सर सब के साथ शेअर करती थीं. साथ में काशीचक नवादा स्थित "ओएयाओ"  माँ का दादी घर भी माँ को बहुत भाया. इसके अलाबा औरंगाबाद क्वाटर में मुन्ना भैया और मुन्नी दीदी के साथ बचपन के बीते पुराने दिन माँ काफी याद करते थे. नगवां (पापा के नानी घर) जहाँ माँ नहीं जा सके पर जाने की इक्षा बहुत थी. वार्सोई, नूरसराय, मनेतांड, किशनगंज, इटावा, रंगून की कहानी माँ से अक्सर सुना करते थे जो माँ को कहने में अच्छा लगता था.
पुराने लोगों का नाम: माँ की नानी, माँ की मौसी (सामे वाली), मौसा, माँ के भैया- परमेश्वर भैया, छोटू भैया, माँ की दीदी, माँ के मामू(मनेतांड, धनबाद), जुगल फूफा, रिखी फूफा, दादी, फुआ- माँ की ननद लेट शिव रतनी देवी, माँ के नंदोसी लेट कृष्ण बल्लव सहाय, सहाय बाबु, गुलाब बाग के फुआ, टिल्हा पर की दादी, टिल्हा पर के दादा लेट अयोध्या लाल, काली दादा,(महरानी रोड), छोटे दादा(भोला बाबु के पापा), दिना नाथ, भोला नाथ, संभु नाथ, विश्वनाथ, ज्ञानचंद, प्रेमचंद, कपूरचंद, जैचंद, छोटी दादी(दादी मौसी), दादी मामी(नगवां) आदि के नाम माँ हमेसा लेकर याद करती थीं.
कहानी जो हमेशा याद रहा: चक्वाय और ओएयाओ की कहानी, माँ की नानी का साहस, कुर्वानी, प्यार, दुलार, ममता की कहानी, माँ के मौसी(सब्जी बागान) की कहानी, माँ के बाबु जी और मैया का प्यार की कहानी, बिगुल भैया (हृदय कुमार सिन्हा- सिंदरी) के साथ बीते बचपन के पढाई और पुराने दिन, देवीस्थान और बंग्लास्थान मंदिर से जुड़े बचपन की बाते, औरंगाबाद क्वाटर में मुन्ना भैया और मुन्नी दीदी का बचपन की कहानी, भुनवा और लक्ष्मी बाबु के घर से जुडी कहानी, पुरैनिया में बीते पुराने दिन और जीवन की सच्ची बाते, पड़ोसियों के संग बीते दिनों की बाते  माँ अक्सर करतीं थी.

भ्रमण/तीर्थस्थल: माँ अपने घरेलु जिम्मेदारियों से इतने घिरे होते थे कि भ्रमण या तीर्थस्थल पर जाने का मौका कम ही मिल पाता था. हमेशा अपने बच्चो की पढाई- लिखाई का चिंता, सबके जरूरतों का चिंता व घर की उलझन माँ को घुमने फिरने में बाधा खड़ा करता था. पापा के जाने के बाद माँ पर चिंता व बोझ काफी बढ़ गया और माँ अपने जिम्मेदारियों को निभाने में ही तीर्थ यात्रा देखने लगी. पर कभी मौका व संजोग मिलने पर माँ, पापा के साथ इलाहाबाद, संगम, काशी- बनारस का ही दर्शन कर पाए. बाद में माँ मुन्ना भैया के साथ जग्गनाथ पूरी, भुबनेश्वर, कोणार्क का सूर्य मंदिर आदि जगहों का दर्शन किया. बिंध्याचल में अस्त्भूजी दुर्गा, काली खो, बिन्ध्यवासिनी माँ का दर्शन माँ को अच्छा लगता था साथ में गंगा तट पर गंगा स्नान व गंगा माँ का दर्शन माँ को बहुत पसंद था. राज-रप्पा में चिन्मस्तिका माँ का दर्शन माँ को अक्सर मनोज बाबु के साथ ओल्तो व इंडिका गाडी से होता रहता था खासकर सावन या आशिन के महीने में. कभी-कभी राज- रप्पा माँ का दर्शन लाभ पिकनिक के परपस से भी सब के साथ होता था. इटखोरी में माँ भद्रकाली का भी दर्शन माँ को अच्छा लगा. माँ को अक्सर बाबाधाम स्थित कामना ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने का मन होता था जो कभी सावन या कभी कोई भी सीजन में जाया करते थे. कलकत्ता में दाख्चिन काली माँ दक्चिनेश्वरी का दर्शन माँ को अत्यधिक भाया. संजय बाबु और सभी के साथ कलकत्ता स्थित भारत्सेवाश्रम में ठहर कर कलकत्ता घूमना, मेट्रो ट्रेन का सफ़र, ट्राम पर चढ़ना, व काली  घाट का दर्शन एक यादगार भ्रमण साबित हुआ. कलकत्ता में काली माँ का दोबारा दर्शन  संजय बाबु के साथ  23 मार्च 2010 को पुनः संभव हो पाया जिसमे माँ दुबारा दर्शन कर काफी खुश हुए.
जीवन का सबसे बड़ा भ्रमण या तीर्थ 25 मार्च 2009  को माँ वैष्णो देवी की यात्रा संभव हो पाया, जिस यात्रा का प्लान कई एक बार बना पर हर बार कुछ बाधा आ जाता था. माँ को माँ वैष्णो देवी का दर्शन का काफी मन होता था पर स्वस्थ्य या घरेलु समस्याओं के कारण बात नहीं बन पाता था. लेकिन 25 मार्च 2009  को  माँ वैष्णो देवी का बुलाबा आ गया और हम सभी उनके दरबार में हाजरी लगा दी. यह शायद जीवन का सबसे सुखद व अविश्वस्निये छन था जब माँ के साथ हम सब माँ के दरबार में हाजिर हुए. दर्शन के कई दिनों के बाद भी माँ और हम सब को यकीं नहीं होता था क़ि कटरा स्थित माता रानी का दर्शन हो गया क्योंकि इतने दिनों का ट्रेन का सफ़र और 14 किलोमीटर की लम्बी चढ़ाई संभव नहीं लग रहा था. पर माता रानी ने माँ की पुकार सुन ली और बुलाबा भेज कर सकुशल दर्शन दिए जो सबसे एतिहासिक व सबसे सुखद एहसास रहा.
तारापीठ बंगाल स्थित माँ तारा का दर्शन दूसरा सबसे सुखद छन  साबित हुआ जब 22 अगस्त 2010 को मनोज बाबु व चुन्नी दी के द्वारा बनाया गया प्लान पर माँ के साथ हम सब को तारा माँ का भव्य दर्शन हुआ. तारापीठ में तारा माँ का दर्शन का मन माँ को बहुत दिनों से था और तारापीठ की कहानी अक्सर सुनते थे पर यह भी संभव हुआ जब एक साथ बाबाधाम से बासुकीनाथ होते हुए तारापीठ पहुँच गए. तारापीठ में माँ का दर्शन, नदी व स्मशान दर्शन कर बहुत अच्छा लगा. यह पल हमेशा ही सुखद दिनों का एहसास कराता है. तारापीठ में माँ तारा का दर्शन मेरी माँ के लिए अंतिम भ्रमण व तीर्थ साबित हुआ. इसके बाद मेरी माँ हम सबसे जूदा हो गयीं.


Life is perhaps life because it is a gift of almighty god. Mother care is undoubtedly without any interest and intention to get back, this natural feeling makes her great in all religions. My maa did all for no intention.

Maa ke liye................

Maa se bada duniya me koi ho na payega
Maa ki mamta ka koi kya karz chukayega
Anmol ratan humko maa duniya se pyari hai
Devi ke jaise nahi swayam devi maa humari hai
Maa ke aanchal me har koi jannat payega
Maa ki mamta ka koi kya karz chukayega

Maa Ki Ahmiyat..................

Jin ki duniya me Maa nahi hoti hai,
Maa ke wo pyar ko taras te hai..!
Kitne logo ki Maa ho kar bhi,
Maa ki khidmat nahi wo karte hai..!
Kal wo pachtayenge zamane me,
Galat fehmi me aaj wo jite hai..!
Woh badnaseeb hai jo  pyaar maa ka khote hai,
Budhe ho kar yehi log apne par rote hai..!
Yaad ayenge aaj jo khote hai,
Lakh unko pukaro duniya me..!
Jane wale fir kaha hote hai,

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