Tuesday, September 30, 2014

माँ की ममता को उनके चतुर्थ पूण्य तिथि " स्मृति " दिनांक 04 -10 - 2014 को शत-शत नमन. दैहिक रूप से बिछड़े बिगत चार वर्ष हो गए है किन्तु माँ से जुदा होने का कष्ट व दर्द आज भी उतना ही असहनीय है जितना तात्कलिक. दुनिया का हर रिश्ता फीका और कमजोर हो सकता है परन्तु माँ के साथ अटूट और मजबूत होता है जन्म के साथ, जन्म -जन्मान्तर तक. निःसंदेह इस रिश्ते की कोई बराबरी नहीं कर सकता, यह बात माँ को जानने वाले को ही समझ आ सकती है, वैसे हमारे वेद और पुराण में ठीक ही कहा गया है कि "माँ का वर्णन करने में कोई भी समर्थ नहीं है, क्योंकि माँ की महिमा का वर्णन सागर और आकाश को मापने के बरावर है.