पूछता है जब कोई मुझसे की दुनिया में मोहब्बत बची है कहाँ, मुस्कुरा देता हूँ मैं और याद आ जाती है माँ !”
तेरे ही आँचल में निकला बचपन,
तुझ से ही तो जुड़ी हर धड़कन,
कहने को तो माँ सब कहते
पर मेरे लिए तो है तू भगवान|
भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ
अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की होती !
ऊपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमां कहते हैं
इस जहाँ में जिसका
अंत नहीं उसे
माँ कहते हैं…!
तेरे ही आँचल में निकला बचपन,
तुझ से ही तो जुड़ी हर धड़कन,
कहने को तो माँ सब कहते
पर मेरे लिए तो है तू भगवान|
भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ
अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की होती !
ऊपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमां कहते हैं
इस जहाँ में जिसका
अंत नहीं उसे
माँ कहते हैं…!